Unit III - Biology
Syllabus and Study Resources (NCERT)
सूक्ष्मजीव एवं जैविक-कृषि। •Micro-organism and Organic Farming. Chapter 02 Science VIII
कोशिका-संरचना एवं कार्य, जन्तुओं एवं पौधों का वर्गीकरण। •Cell–Structure and Function, Classification of Animals and Plants. Chapter 08 Science VIII, Chapter 05 Science IX
पौधों, पशुओं एवं मनुष्यों में पोषण, संतुलित आहार, विटामिनहीनताजन्य रोग, हार्मोन्स। •Nutrition in plants, animals and human beings, Balanced Diet, Vitamins Deficiency Diseases, Hormones. Chapter 1 and 2, Science VII, Chapter 15 Science IX
मानव शरीर के अंग, संरचना एवं कार्य-प्रणाली। •Body Organs of Human Beings, Structure and Functioning. Chapter 06, 07 Science X
जीवों में श्वसन। •Respiration in Organisms. Chapter 10 Science VII, Chapter 06 Science X
पशुओं और पौधों में परिसंचरण/परिवहन (ट्रांसपोर्टेशन)। •Transportation in Animals and Plants. Chapter 11 Science VII, Chapter 07 Science X
पशुओं और पौधों में प्रजनन। •Reproduction in Animals and Plants. Chapter 12 Science VII, Chapter 09 Science VIII, Chapter 08, 09 Science X
स्वास्थ्य, स्वच्छता एवं बीमारियाँ। •Health and Hygiene and Diseases. Chapter 08, 09 10 Biology XII
जीव (Organisms)
जीव (या सजीव) क्या हैं? सभी जीवित अस्तित्व, चाहे जीवित वस्तुऐं हों या पौधे, को सामूहिक रूप से जीव (organisms) के रूप में जाना जाता है। इस प्रकार, एक जीव वह है जिसमें जीवन है, जो जैविक (biotic) है, जिसका अर्थ है जीव अपनी प्रतिकृति तैयार कर सकता है, अर्थात जो अपनी ही तरह के जीव को जन्म देने में निमित्त है। इसलिए, मानव, पशु, पक्षी और पौधे जीव हैं। स्पष्ट है कि मिट्टी, पत्थर, चट्टानें आदि निर्जीव (abiotic) समूह के अंग हैं।
जीव के प्रकार (Type of organisms)
जीवों के निम्नानुसार 05 प्रकार हैं:
एक जीव को भोजन के लिए दूसरे जीव के अस्तित्व पर निर्भर रहने की व्यवस्था इस पारिस्थितिकी तंत्र में एक खाद्य श्रृंखला का निर्माण करती है। जीव के अपने भोजन को प्राप्त करने की प्रक्रिया के आधार पर पारिस्थितिकी तंत्र में चार प्रकार के उपभोक्ता हैं: प्राथमिक (Primary), द्वितीयक (Secondary), तृतीयक (Tertiary) और चतुर्धातुक (Quaternary) उपभोक्ता। इस वर्गीकरण और खाद्य श्रृंखला के संगत स्थान को निम्नलिखित उदाहरण से समझा जा सकता है:
घास के मैदानों के बाओम (वातावरण) में घास निर्माता है, टिड्डा घास खाता है, अत: टिड्डा प्राथमिक उपभोक्ता (शाकाहारी) है, टिड्डे को चूहा खा जाता है, अत: चूहा द्वितिक उपभोक्ता (मांसाहारी) है। चूहे को सांप खा जाता है, अत: सांप तृतीयक उपभोक्ता (मांसाहारी) है। सांप को बाज़ खा जाता है, अत: बाज़ चतुर्धातुक उपभोक्ता (मांसाहारी) है।
जीव की कोशिकाऐं (Cells of organisms)
कोशिकाएं (cells) सभी जीवित वस्तुओं की बुनियादी निर्माणखंड (building blocks) या जीवन की मौलिक इकाई (fundamental unit of life) हैं। ये बिल्कुल उसी तरह से बुनियादी हैं जिस तरह से तत्व में परमाणु। मानव शरीर खरबों कोशिकाओं से बना है (कुछ जीव एक कोशिक भी होते हैं)। कोशिकाऐं जीव के शरीर को संरचना प्रदान करती हैं, भोजन से पोषक तत्वों को सोखती हैं, और उन पोषक तत्वों को ऊर्जा में परिवर्तित करती हैं, और विशेष कार्य करती हैं। कोशिकाओं में शरीर की वंशानुगत सामग्री भी होती है और कोशिकाऐं स्वयं की प्रतियां भी बनाती हैं। प्रत्येक बहुकोशिक (multi-cellular) जीव एक कोशिका से ही विकसित हुआ क्योंकि कोशिकाऐं विभाजित होकर अपनी ही प्रति बनाती है और इस प्रकार सभी कोशिकाऐं अपनी किसी पूर्ववर्ती कोशिकाओं से उत्पन्न होती हैं।
प्रत्येक कोशिका में कुछ विशिष्ट घटक होते हैं जो ये कार्य करते हैं। इन घटकों को हम कोशिका के अंग अर्थात, कोशिका + अंग, अर्थात कोशिकांग (organelles), कहते हैं। प्रत्येक कोशिकांग के लिये एक विशिष्ट कार्य नियत होता है।
कोशिका की संरचना (Structure of a cell)
प्रत्येक कोशिका में तीन गुण (features) मौजूद होते हैं:
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कोशिका झिल्ली या प्लाज़्मा झिल्ली (cell membrane or plasma membrane),
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केन्द्रक (nucleus) तथा,
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कोशिकाद्रव्य (cytoplasm)
एक कोशिका की सारी गतिविधियॉ और वाह्य वातावरण के साथ किसी अन्य कोशिका के साथ तालमेल इन्हीं तीन गुणों पर निर्भर होता है।
साइटोप्लाज्म (Cytoplasm = कोशिकाद्रव्य) और प्रोटोप्लाज्म (Protoplasm) के बीच का अंतर लगभग न्यूनतम है और दोनों ही शब्दों का एक दूसरे के लिये उपयोग किया जाता है। साइटोप्लाज्म में केन्द्रक को छोड़कर कोशिका झिल्ली के अंदर की सभी सामग्री समाहित होती है, और प्रोटोप्लाज्म में साइटोप्लाज्म और केन्द्रक का द्रव्य भी शामिल होता है।
1. कोशिका झिल्ली या प्लाज़्मा झिल्ली (cell membrane or plasma membrane)
कोशिका झिल्ली सभी कोशिकाओं में मौजूद होती है। इसके मुख्य कार्य हैं:
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कोशिका झिल्ली कोशिका की सुरक्षा करती है,
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यह कोशिका को बाहरी वातावरण से अलग करती है, तथा,
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कोशिका झिल्ली कोशिका का बाहरी आवरण होता है जो केन्द्रक (nucleus) तथा कोशिकाद्रव्य (cytoplasm) सहित अन्य सभी कोशिकांगों को अंतर्विष्ट (contain) करता है।
संरचना के मामले में, यह एक छिद्रयुक्त झिल्ली है और एक विशिष्टता रखने के कारण यह कोशिकाओं के अंदर से बाहर और बाहर से अंदर जाने वाले पदार्थों की दिशानिर्देशित करती है। कोशिका झिल्ली एक वर्णात्मक (विशिष्ट चयन की कार्यात्मकता के साथ) पारगम्य (selectively permeable) हैं, जिसका अर्थ है कि झिल्ली से गुजरने वाले छोटे अणुओं की सहजता और दर व्यापक रूप से भिन्न होती है। प्लाज्मा झिल्ली विभिन्न पोषक तत्वों, ऑक्सीजन, अकार्बनिक आयनों, अपशिष्ट उत्पादों और पानी के आदान-प्रदान को नियंत्रित करता है। एक कोशिका की प्लाज्मा झिल्ली में लिपिड अणुओं की दोहरी परत होती है, जो कुछ अणुओं को अन्य की तुलना में अधिक आसानी से गुजरने की अनुमति देती है।
सभी कोशिका झिल्ली लचीली होती हैं और उनके मूलभूत निर्माण खंड फॉस्फोलिपिड्स (phospholipids) और प्रेाटीन्स होते हैं। कोशिका झिल्ली का लचीलापन विशेष रूप से एककोशीय जीवों के कोशिकाओं को अपने वाह्य वातावरण से अपना भोजन व संगत पदार्थ आदि ग्रहण करने में मदद करता है, व इस प्रकिया को एंडोसायटोसिस (endocytosis) कहते हैं। एककोशीय अमीबा (unicellular amoeba) अपना भोजन इसी व्यवस्थान्तर्गत प्राप्त करता है।
कोशिका भित्ती (Cell Wall)
कोशिक भित्ती मात्र बैक्टीरिया (bacteria), आर्किया (archaea), कवक (fungi), पौधों (plants) और शैवाल (algae) में पायी जाती हैं।
कोशिक भित्ती, एक कोशिका की प्लाज्मा झिल्ली (या कोशिका झिल्ली) के बाहर एक काफी कठोर परत वाली एक भित्ती (wall) होती है, जो कोशिका को अतिरिक्त सहायता और सुरक्षा प्रदान करती है।
मनुष्यों, पशुओं और अधिकांश अन्य प्रजीवों में कोशिका भित्ती नहीं होती है।
एक पादप कोशिका भित्ती में मुख्य रूप से एक जटिल कार्बोहाइड्रेट, सेल्यूलोज़ (cellulose) होता है। सेल्यूलोज एक पादप कोशिका भित्ति को, फलस्वरूप पौधे को, संरचनात्मक शक्ति और दृढ़ता प्रदान करता है।
ऐसा हो सकता है कि किसी पादप कोशिका में परासरण के कारण जल ही हानि हो जाए। ऐसी स्थिति में कोशिका में कोशिका भित्ती के पीछे कोशिका झिल्ली और आंतरिक पदार्थ सिकुड़ जाते हैं। ये घटना जीवद्रव्य संकुचन (plasmolysis) कहलाती है।
पादप कोशिकाओं में कोशिका भित्ती की क्या आवश्यक्ता है?
पादप कोशिकाओं में कोशिका भित्ती के कई कार्य हैं, जिनमें कोशिका संरचना और इसके आकार का रखरखाव शामिल है। कोशिका भित्ती के कठोर होने से यह कोशिका और इसके पदार्थ की रक्षा करती है। उदाहरण के लिए, कोशिका भित्ति विषाणुओं को कोशिका में प्रवेश करने से रोक सकती है। यांत्रिक अवलंब के अलावा, यह भित्ती एक ऐसे ढांचे या फ्रेमवर्क के रूप में कार्य करती है जो कोशिका को असामान्य वृद्धि या घटी से रोक सकती है।
कोशिका भित्ति अपेक्षाकृत कम तनु विलयन अर्थात अल्पपरासरण दाबी विलयन (hypotonic) में पादप कोशिकाओं को बिना प्रस्फोट के अक्षुण्ण रखती है। ऐसे माध्यम में परासरण व्यवस्थान्तर्गत कोशिका जल ग्रहण कर लेती है व फूल जाती है। फलस्वरूप एक दवाब कोशिका भित्ति के ऊपर पड़ता है। फलस्वरूप कोशिका भित्ति भी फूली हुई कोशिका पर समान प्रतिक्रिया कर समान रूप से दबाव डालती है। अत: कोशिका भित्ति के कारण पादप कोशिकाएँ आसपास के माध्यम में बदलाव को जंतु कोशिका की अपेक्षा आसानी से सहन कर सकती है।
2.केन्द्रक या नाभिक (Nucleus)
केन्द्रक एक अतिविशिष्ट कोशिकांग है जो कोशिका का मुख्य प्रशासनिक केंद्र होकर कोशिका का सूचना प्रसंस्करण सम्बंधी कार्य करता है। इस कोशिकांग के दो प्रमुख कार्य हैं: यह कोशिका के वंशानुगत पदार्थ, या डीएनए को संग्रहीत करता है, और यह कोशिका की गतिविधियों यथा कोशिका वृद्धि, मध्यस्थ चयापचय, प्रोटीन संश्लेषण और प्रजनन (कोशिका विभाजन) शामिल हैं में समन्वय स्थापित करता है।